आहिस्ता, आहिस्ता कोई आया है,
चराग़-ए-इश्क़ कोई जलाया है ......
फ़िज़ा में बिखरी हुई है ये खुशबु कैसी,
हवाएं गुनगुना रही हैं ये नगमें कैसी,
चराग़-ए-इश्क़ कोई जलाया है ......
फ़िज़ा में बिखरी हुई है ये खुशबु कैसी,
हवाएं गुनगुना रही हैं ये नगमें कैसी,
दिलो दरवाज़े पे हो रहा है दस्तक कैसा,
चारों तरफ है मदहोशी का आलम कैसा,
इश्क़ का ये कैसा नशा छाया है,
चाँद भी बेहका नज़र आया है !!
आहिस्ता, आहिस्ता कोई आया है,
चराग़-ए-इश्क़ कोई जलाया है ......
दिल की धड़कन को धड़कना सिखा गया कोई,
टूटे ख़्वाबों को फिर पलकों पे सजा गया कोई,
मेरी आवाज़ को इश्क-ए-साज़ दे गया है कोई,
मेरी साँसों को नया सरगम दे गया है कोई,
सूने होठों पे ग़ज़ल बनके आया है,
मतलब-ए-इश्क़ आके समझाया है !!
आहिस्ता, आहिस्ता कोई आया है,
चराग़-ए-इश्क़ कोई जलाया है.....
Asha Prasad "ReNu"
चारों तरफ है मदहोशी का आलम कैसा,
इश्क़ का ये कैसा नशा छाया है,
चाँद भी बेहका नज़र आया है !!
आहिस्ता, आहिस्ता कोई आया है,
चराग़-ए-इश्क़ कोई जलाया है ......
दिल की धड़कन को धड़कना सिखा गया कोई,
टूटे ख़्वाबों को फिर पलकों पे सजा गया कोई,
मेरी आवाज़ को इश्क-ए-साज़ दे गया है कोई,
मेरी साँसों को नया सरगम दे गया है कोई,
सूने होठों पे ग़ज़ल बनके आया है,
मतलब-ए-इश्क़ आके समझाया है !!
आहिस्ता, आहिस्ता कोई आया है,
चराग़-ए-इश्क़ कोई जलाया है.....
Asha Prasad "ReNu"
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