ह्रदय पिघल कर बहने दो
साज पुराना उठा लिया फिर
गीत नया कोई रचने को !!
होने लगा अब प्राण बोझिल
ढ़ोते-ढ़ोते भार तिमिर का
बुझी हुई चिंगारी से फिर
जला ह्रदय उजाला करने दो !!
संग अपने शैवाल अश्रु का
बहा ले गया रंग बसंत का
भीगी हुई पलकों से फिर
जीवन में रंगों को भरने दो !!
होने लगी अब मूक वाणी
हो-हो कर आहत व्यथा से
विहीन शब्द स्वरों से फिर
इन अधरों को मुस्कुराने दो !!"ReNu"
Nice and Heart touching.
ReplyDeleteu are one of the strong lady i have ever seen... "Renu Ji"
ReplyDeleteBe happy... :)