एक कसमकश में जी रही हूँ मै,
आपने आप से लड़ रही हूँ मै!
यादों के भंवर से निकलने की,
एक नाकाम कोशिश में!
आपने आप से लड़ रही हूँ मै!
यादों के भंवर से निकलने की,
एक नाकाम कोशिश में!
और उलझती जा रही हूँ मै!
भावनाओं के ज्वार की लहर,
बीते हुए समय की एक झलक!
हमारे बीच का ये परिपूर्ण बंधन,
कभी नहीं टूटने वाला ये बंधन!
मेरे जीवन का बेशकीमती पल,
कभी नहीं भूलने वाला वह पल!
एक बार फिर से मै वापस चली गई हूँ,
बिखरे हुए कांच के टुकड़ों को समेट ने!
जो छिटक कर मुझ से दूर जा चूका है,
उसे फिर से एक नयी आकृति देने!
नहीं चाहती उन यादों को ढ़ोना मै,
पर क्या करूँ मै दुःख दर्द से परे नहीं!
मै भगवान नहीं एक इन्सान हूँ,
बीते हुए कल में ही आज निहित है,
उसी कल को जीए जा रही हूँ मै......"ReNu"
Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"
भावनाओं के ज्वार की लहर,
बीते हुए समय की एक झलक!
हमारे बीच का ये परिपूर्ण बंधन,
कभी नहीं टूटने वाला ये बंधन!
मेरे जीवन का बेशकीमती पल,
कभी नहीं भूलने वाला वह पल!
एक बार फिर से मै वापस चली गई हूँ,
बिखरे हुए कांच के टुकड़ों को समेट ने!
जो छिटक कर मुझ से दूर जा चूका है,
उसे फिर से एक नयी आकृति देने!
नहीं चाहती उन यादों को ढ़ोना मै,
पर क्या करूँ मै दुःख दर्द से परे नहीं!
मै भगवान नहीं एक इन्सान हूँ,
बीते हुए कल में ही आज निहित है,
उसी कल को जीए जा रही हूँ मै......"ReNu"
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