Wednesday, January 23, 2013

समर्पण

Twadiyam vastu govinda tubhyameva samarpaye !
हृदय समर्पण किया तुमको,
अब प्राण समर्पण करती हूँ !
जो तेरा था दे दिया तुमको, 
अब बचा नहीं कुछ देने को !!

हृदय लगा लो या ठुकराओ,
चाहे मुझे खाक में मिलाओ !!
मैंने तो अपना यह जीवन,
तुम पर ही निसार किया !! "ReNu"

Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"


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