Thursday, February 21, 2013

"बौरायी है पवन बसंती"


बौरायी है पवन बसंती,
पल-पल अपनी दिशा बदलती !

पेड़ों को झकझोर रही है,
फूल-पत्तों को तोड़ रही है !
तितलियों को सता रही है,
जबरन साथ में उड़ा रही है !
बौरायी है पवन बसंती.....

सांय-सांय कर कभी डराती,
पत्र-दलों को नाच-नाचती !
कभी गगन में ऊँचा ले जाती,
कभी धरा पर धम्म से गिराती !
बौरायी है पवन बसंती.....

अल्हड़ और मदमस्त बसंती,
अपनी ताकत पर इतराती !
दीवारों से जा कर टकराई,
बौखलाई फिर वापस आई !
बौरायी है पवन बसंती..... "ReNu"

Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"