Friday, November 16, 2012

दर्द पुराना रिसने दो आज

दर्द पुराना रिसने दो आज  
ह्रदय पिघल कर बहने दो 
साज पुराना उठा लिया फिर
गीत नया कोई रचने को !!

होने लगा अब प्राण बोझिल
ढ़ोते-ढ़ोते भार तिमिर का
बुझी हुई चिंगारी से फिर 
जला ह्रदय उजाला करने दो !!

संग अपने शैवाल अश्रु का
बहा ले गया रंग बसंत का
भीगी हुई पलकों से फिर 
जीवन में रंगों को भरने दो  !!

होने लगी अब मूक वाणी 
हो-हो कर आहत व्यथा से 
विहीन शब्द स्वरों से फिर 
इन अधरों को मुस्कुराने दो !!"ReNu"

                    Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"

2 comments:

  1. u are one of the strong lady i have ever seen... "Renu Ji"
    Be happy... :)

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