Sunday, October 6, 2013

*मन*

ओ, मानव तू क्यों भागे हैं
मन के पीछे-पीछे…….
छलिया है यह छल लेगा ,
पल-पल रास्ता बदलेगा ।
कभी शिखर चढ़ जायेगा ,
कभी भू-गर्भ जा बैठेगा ।
थक जायेगा, गिर जायेगा ,
इसके पीछे भागते-भागते ।
ओ, मानव तू क्यों भागे हैं
मन के पीछे-पीछे…….

मन के आगे हो जाता है ,
प्रकाश-गति भी धीमी ।  
पलभर में यह सैर करा दे ,
तुमको पूरे ब्रह्मांड की ।
भूत-भविष्य में ले जायेगा ,
मदारी बनके नचायेगा ।
बन्दर बनकर रह जायेगा ,
इसके पीछे नाचते-नाचते ।
ओ, मानव तू क्यों भागे हैं
मन के पीछे-पीछे……. "ReNu"


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जब भी चमन में फूल खिले,
और तितली लुटाये अपना प्यार ।
चाँद बिखेरे जब शीतल किरण ,
और धरती ओढ़े दुधिया चुनर ।
झींगुरों ने जब छेड़े राग यमन ,
पवन के झूले में झूले प्रकृति मगन ।
स्नेह बनकर जब बरसे शबनम ,
ऐसे में
काश! तुम होते प्रियतम । "ReNu"

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Thursday, August 15, 2013

*अभी पूर्ण स्वतंत्रता बाकी है *

स्वार्थ में लिपटे हुए सत्ताधारी ,
भरने में लगे हैं अपना तिजोरी ,
सीमा पर हुए शहीद जो वीर हैं ,
सुध लेते नहीं उनके परिजनों की कभी ,
जबतक शहीदों के शोणित से,
भारत माँ का आँचल भींगेगा ,
तबतक परतंत्रता बाकी है ,
अभी पूर्ण स्वतंत्रता बाकी है !!

पुत्र, पति, भाई के वियोग में,
दहलाता स्त्रियों का रुदन करुण ,
सहमें हुए पित्रहीन मासूमों का,
कौन सुनता है यहाँ अन्तःनाद ?
जबतक विधवाओं के सिंदूर से ,
सत्ता लोलुप्तों का राजतिलक होगा ,
तबतक परतंत्रता बाकी है ,
अभी पूर्ण स्वतंत्रता बाकी है !!

संविधान बनाकर क्या होगा ?
जब अमल नहीं उसपर होगा ,
रह गया है दबकर संविधान ,
मोटी किताब के पन्नों में ,
जबतक यह मुक्त नहीं होगा ,
तबतक परतंत्रता बाकी है ,
अभी पूर्ण स्वतंत्रता बाकी है ,
अभी पूर्ण स्वतंत्रता बाकी है !! "ReNu"


Monday, July 29, 2013

"बिटिया"

मेरे घर के आँगन में तुम , 

उधम-चौकरी मचाती हो !!

कभी रोती हो कभी हंसती हो ,

कभी गले में बाहें डाल झूल जाती हो !!

संपूर्ण जगत की मस्ती समेट ,

छोटे से घर में तुम ले आती हो !!

मेरे रिक्त जीवन में "सुरभि" ,

तुम सुरभि भर जाती हो !! "ReNu"


Thursday, July 11, 2013

सनेह संचय कर कलश में,
प्यार लुटाने आज आई !!
अतृप्त रहकर भी जगत की,
प्यास बुझाने मैं हूँ आई !!

रक्त, शव, धुंआ का कोहरा
विश्व में पीड़ा है गहरा !!
सूर्य से रश्मि को छीन कर,
भू पर विभा उतार लाई !!"ReNu"

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Wednesday, July 10, 2013

*मानव मन का विकार*

मैं कहती हूँ मैं अच्छी हूँ ,

वो कहते है वो अच्छे हैं ,

मैं कहती हूँ तुम बुरे हो ,

वो कहते हैं तुम बुरे हो ,

फिर बुरा कौन और अच्छा कौन ?

या तो सब अच्छे या सब बुरे ,

या तो सभी अच्छे और बुरे दोनों ,

"शहर से गावं तक जा देखा,

मिला नहीं बुरा कोई अनोखा ,

प्रतिबिंब आईने का जब देखा ,

अपने जैसा ही सबको देखा !!" "ReNu"

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*फिर रही हूँ इस समय मैं बादल पर बैठकर*

फिर रही हूँ इस समय मैं बादल पर बैठकर,

भर रही हूँ चाँद-सितारे आँचल में तोड़कर !!

पहाड़ी और घाटियों से तैरती मैं जा रही,

झील और झरनों के ध्वनी पे गुनगुना रही !!

थिरक रहे हैं पवन संग वृक्ष और झाड़ियाँ,

चल रहा साथ मेरे आधा दुधिया शीतल चाँद !!"ReNu" 

 

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Friday, June 21, 2013

"हे भोले भंडारी" (केदारनाथ में महादेव का तांडव)

हे भोले भंडारी,

भक्तों का अपराध तो बताओ त्रिपुरारी ?

क्या सारे भक्त थे पापी ?

जो तुमने अपना त्रिनेत्र खोल डाली,

सही-सलामत है जब गिरिराज कुमारी,

फिर क्यों तुमने भयानक तांडव है मचाई ? 


माना कि भक्तों में थे कुछ नेता और अपराधी ,

इसकेलिए हजारों निर्दोष को सजा क्यों दी ?

क्यों चढ़ा रखी थी भांग तुमने इतनी ?

कि अपने अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया तुमने,

क्या रह गया फर्क देवता और क्रूर दानव में ?

जब निर्दोषों के खून से रंगे हों दोनों....."ReNu"

                  

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Sunday, June 16, 2013

"उमड़ हैं आई बदरी सावन की"

उमड़ हैं आई बदरी सावन की ,
दमके दामिनी गरज-गरज के !
निशि अंधियारी जिया घबराये ,
सुधि नहीं मेरी साजन को आये !!

वैरन हो गई मेरी हँसी-ठिठोली ,
रूठ के हैं पिया परदेश सिधारे !
जब से गए कोई चिठ्ठी न पत्री ,
कबसे खड़ी हूँ द्वार बाट निहारे !!"ReNu"
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Monday, May 27, 2013

! भगवान बन न मंदिर में बैठ !

दे इतनी न पीड़ा मुझको ,
कि तुम से नफरत कर बैठूं !
दे इतनी न खुशियाँ मुझको ,
कि दर्द औरों का समझ न सकूँ !!

दे इतना न आंसूं मुझको ,
कि अस्तित्व तेरा ही बह जाये !
फिर कोई न पूजे तुमको ,
न कोई तुम पर विश्वास करे !!

कुछ तो ऐसा तू खेल रचा ,
अपने होने का प्रमाण तो दे !!
भगवान बन न मंदिर में बैठ ,
आ साथी बनकर गले लगा !!

आ फिर से बंसी की धुन से ,
जानवरों में भी प्यार जगा !
आ कर फिर से मानवता का  ,
मानव को तू  का पाठ पढ़ा !!

मधुर मुरली की धुन अब तेरी ,
और नहीं दिल बहला पायेगी !
मुरली त्याग, सुदर्शन पकड़ ,
नहीं तो मानवता शर्मसार हो जाएगी !! "ReNu"



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Tuesday, April 30, 2013

मत रौंदो इस तरह मुझको,
सुकून से बचपन तो जीने दो !
जरा सब्र तो करो रावणों,
पहले सीता तो मुझे बनने दो !! "ReNu"

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Saturday, April 6, 2013

! युवाओं को समर्पित !

परेशानी और बाधाओं को,
अपने पैरों के निचे रख दे !
बनने न दे इसे पथ का रोड़ा,
मंजिल की सीढ़ी बना ले !!

तू कौन है, क्या है,
यह दुनिया को आज दिखा दे !
मत चल औरों के पदचिन्हों पर,
खुद अपना पदचिन्ह बना ले !!

परवाह नहीं कर दुनियाँ की,
क्या तेरे बारे में वो कहता है !
मतलब केवल उन बातों का,
जो तू अपने आप से कहता है !!

व्यर्थ न गवा समय अपना,
तू सोच के औरों के बारे में !
मत कर औरों से अपनी तुलना,
जो दूर ले जाये तुमको खुद से !!

सबसे ऊपर जाकर जो बैठता है,
वह श्रेष्ठ नहीं हो जाता है !
अपने आप से ऊपर उठ कर तू,
श्रेष्ठता का मतलब उनको समझा दे !!"ReNu"


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Wednesday, April 3, 2013

! आ कर देखो बस एक बार !

चाँद सितारों में जाकर ढूंढा,
मेघ बयारों से जाकर पूछा,
जाने वाले कहाँ चले जाते हैं,
दे ठौर-ठिकाना उनका बता !!

ओ महायात्रा पर जाने वाले,

क्यों लौट नहीं घर को आते,
दिवाली तुम्हारे बिना फीका,
होली का रंग भी बेरंग हुआ !!

आ कर देखो बस एक बार,
कितना सब कुछ है बदल गया,
अपने बगीचे की नन्ही कलियाँ
देखो खिलकर सौम्य फूल बना !!


मैं भी पहले जैसी कहाँ रही,

छा गयीं झुर्रियां, उम्र बढ़ा,
आँखों पर चढ़ा मोटा चश्मा,
सर का आधा बाल सफेद हुआ !!

जाना ही था तो चले जाते,
पर इतना तो करते जाते,
यादों की अपनी पोटली भी,
अपने साथ ही लेकर जाते !!

क्यों जाने के बाद भी साथी,
तुम दिल के अंदर रहते हो,
दिल को हर पल निचोड़ कर,
आंसुओं से सिंचित फलते-फूलते हो !!"ReNu"


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Tuesday, March 26, 2013

! ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर !

ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर
ईंट पत्थर से बने इंसानों का शहर
रोज मरते हम रोज बिकते हैं हम
चंद लोगों की मर्जी पर जीते हैं हम
इंसानों का नहीं ये हैवानों का शहर !!

        ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर......
 

माँ बहनों की लगती यहाँ बोलियाँ
रोटियों के लिए वो हैं बिकती यहाँ
संबंधों की उड़ रही है यहाँ धज्जियाँ
सम्पत्ति के लिए हो रहे क़त्ल यहाँ
पैसों का शहर ये जमीनों का शहर !!

          ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर......
 

मंदिर-मस्जिद में बांटे हुए हैं हमें
क्षेत्र, भाषा के नाम पर लड़वाते हमें
हमें खेलाकर यहाँ खून की होलियाँ
खुद वहाँ मना रहे हैं
वो रंगरेलियाँ
नेताओं का शहर धर्मगुरुओं का शहर !!

         ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर......"ReNu"
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होली खेलूँगी राम-रहीम संग !

होली खेलूँगी राम-रहीम संग !
बिस्मिल्लाह से शुरू करुँगी,
श्री गणेश कह कलश रखूँगी !
रहीम नाम के डाल के पानी ,
राम नाम के शुद्ध रंग घोलूंगी !
होली खेलूँगी राम-रहीम संग .....


भर पिचकारी मारूँ ईश्वर की
बरसे फुहार बन अल्लाह की !
रंग पड़े जिसपर यह अनोखा ,
जाने प्रेम से बढ़कर धर्म न दूजा !
होली खेलूँगी राम-रहीम संग ...."ReNu"

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Tuesday, March 19, 2013

बेनाम रिश्ता

बैचेन होता है जब भी वहाँ तू ,
धड़कने क्यों मेरी यहाँ बढ़ जाती !!


ख़ामोशी की जुबां होती नहीं फिर ,
बिना कुछ कहे क्यों दिल सुन लेता ?


क्या नाम दूँ इस बेनाम रिश्ते को ?
बिना रिश्ते का जो रिश्ता बन गया है !!


छोटा सा है पर तू बड़ा ही सयाना,
बातें करे तू ऐसे जैसे हो नाना !!


नाते-रिश्तों को मैं भूल चुकी थी,
जिम्मेदारियों से मुख मोड़ चुकी थी !!


जीने की चाहत रही थी न बाकी,
ऐसे में आया तू ओ मेरे साथी !!


तेरी मासूमियत, तेरी बेतुकी बातें,
मेरे लिए जगना सारी-सारी रातें !!


बनके तू आया था मेरा फरिश्ता ,
जन्म-जन्म तक रहे ये बेनाम रिश्ता !!"ReNu"


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Thursday, February 21, 2013

"बौरायी है पवन बसंती"


बौरायी है पवन बसंती,
पल-पल अपनी दिशा बदलती !

पेड़ों को झकझोर रही है,
फूल-पत्तों को तोड़ रही है !
तितलियों को सता रही है,
जबरन साथ में उड़ा रही है !
बौरायी है पवन बसंती.....

सांय-सांय कर कभी डराती,
पत्र-दलों को नाच-नाचती !
कभी गगन में ऊँचा ले जाती,
कभी धरा पर धम्म से गिराती !
बौरायी है पवन बसंती.....

अल्हड़ और मदमस्त बसंती,
अपनी ताकत पर इतराती !
दीवारों से जा कर टकराई,
बौखलाई फिर वापस आई !
बौरायी है पवन बसंती..... "ReNu"

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Wednesday, January 23, 2013

समर्पण

Twadiyam vastu govinda tubhyameva samarpaye !
हृदय समर्पण किया तुमको,
अब प्राण समर्पण करती हूँ !
जो तेरा था दे दिया तुमको, 
अब बचा नहीं कुछ देने को !!

हृदय लगा लो या ठुकराओ,
चाहे मुझे खाक में मिलाओ !!
मैंने तो अपना यह जीवन,
तुम पर ही निसार किया !! "ReNu"

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Tuesday, January 15, 2013

क्या मातृभूमि से प्रेम करने का जज्बा शहीदों का परिवार जगायेगा ?


क्या मातृभूमि से प्रेम करने का जज्बा शहीदों का परिवार जगायेगा ?

हम गरज-गरज कर रह गए,
तुम बरस-बरस कर चले गए !!
हम कोरी धमकी देते रह गए,
तुम सिर कलम कर ले गए !!  :(((((((

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कल अखिलेश को सुना, उसने जो कुछ भी कहा सुनकर अच्छा लगा!
तकलीफ तो ये है कि उनमें मातृप्रेम का जज्बा तब जागा जब अनसन पर बैठे शहीद हेमराज कि माँ और पत्नी कि हालत गंभीर हो गई ! तर्क था, मैं व्यस्तता के कारण नहीं आ सका !
ऐसी कौन सी व्यस्तता थी अखिलेश जो तुम्हारी मातृभूमि से बढ़कर थी और वो व्यस्तता किसके लिए थी ? आज अगर भारतदेश है तो इन भारत माँ के शहीद सपूतों के कारण!
कहीं ऐसा न हो कि प्रशासन कि उपेक्षा के कारण मांयें अपने बेटों को शरहद पर भेजना बंद कर दे ! फिर न तो भारत देश रहेगा और न ही तुम्हारी व्यस्तता ! 
जय हिन्द ! "ReNu"

Sunday, January 6, 2013

"राम" नाम बड़े और करणी छोटे ....


‎"राम" नाम बड़े और करणी छोटे ....
कई दिनों से चूहे घर में ऊछल-कूद मचा रहे थे !घर से आँगन और आँगन से घर में बार-बार आ-जा रहे थे !सोचा चलो आँगन में जाकर देखा जाये ये कर क्या रहें हैं !देखा तो कबाड़ के बीच में गरम कपड़े के ढेर सारे कतरन पड़े थे !गुस्सा बहुत आया उसे उठा कर फेंकने के लिए झुकी तो लाल-लाल कई चूहे के बच्चे थे, उनकी आँखे बंद थीं ! सारा गुस्सा रफ्फुचक्कर हो गया, अच्छी तरह से ढककर वापस अंदर आ गई!
         आजकल जहाँ देखो राम और सीता की दुहाई दी जा रही है... 
यह सब देखकर मैं यह सोचने पर मजबूर हो गई कि क्या राम का किरदार पूज्यनीय है ?
एक जानवर..चूहा, चिड़ियाँ अपने बच्चे के लिए जान लगा देता है और वो कैसा बाप रहा होगा जो पहले तो पत्नी की अग्नि परीक्षा लेता है और उसके वावजूद उसे गर्भावस्था में चुपचाप हिंसक पशुओं के बीच जंगल में छुड़वा देता है ! नारी का इतना अपमान करने के बाद भी "भगवान् राम" कहलाता है .....सच "भारत देश महान है" जहाँ पग-पग पर नारी का अपमान होता है .. :(((((((  "ReNu"