Tuesday, March 26, 2013

! ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर !

ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर
ईंट पत्थर से बने इंसानों का शहर
रोज मरते हम रोज बिकते हैं हम
चंद लोगों की मर्जी पर जीते हैं हम
इंसानों का नहीं ये हैवानों का शहर !!

        ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर......
 

माँ बहनों की लगती यहाँ बोलियाँ
रोटियों के लिए वो हैं बिकती यहाँ
संबंधों की उड़ रही है यहाँ धज्जियाँ
सम्पत्ति के लिए हो रहे क़त्ल यहाँ
पैसों का शहर ये जमीनों का शहर !!

          ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर......
 

मंदिर-मस्जिद में बांटे हुए हैं हमें
क्षेत्र, भाषा के नाम पर लड़वाते हमें
हमें खेलाकर यहाँ खून की होलियाँ
खुद वहाँ मना रहे हैं
वो रंगरेलियाँ
नेताओं का शहर धर्मगुरुओं का शहर !!

         ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर......"ReNu"
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होली खेलूँगी राम-रहीम संग !

होली खेलूँगी राम-रहीम संग !
बिस्मिल्लाह से शुरू करुँगी,
श्री गणेश कह कलश रखूँगी !
रहीम नाम के डाल के पानी ,
राम नाम के शुद्ध रंग घोलूंगी !
होली खेलूँगी राम-रहीम संग .....


भर पिचकारी मारूँ ईश्वर की
बरसे फुहार बन अल्लाह की !
रंग पड़े जिसपर यह अनोखा ,
जाने प्रेम से बढ़कर धर्म न दूजा !
होली खेलूँगी राम-रहीम संग ...."ReNu"

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Tuesday, March 19, 2013

बेनाम रिश्ता

बैचेन होता है जब भी वहाँ तू ,
धड़कने क्यों मेरी यहाँ बढ़ जाती !!


ख़ामोशी की जुबां होती नहीं फिर ,
बिना कुछ कहे क्यों दिल सुन लेता ?


क्या नाम दूँ इस बेनाम रिश्ते को ?
बिना रिश्ते का जो रिश्ता बन गया है !!


छोटा सा है पर तू बड़ा ही सयाना,
बातें करे तू ऐसे जैसे हो नाना !!


नाते-रिश्तों को मैं भूल चुकी थी,
जिम्मेदारियों से मुख मोड़ चुकी थी !!


जीने की चाहत रही थी न बाकी,
ऐसे में आया तू ओ मेरे साथी !!


तेरी मासूमियत, तेरी बेतुकी बातें,
मेरे लिए जगना सारी-सारी रातें !!


बनके तू आया था मेरा फरिश्ता ,
जन्म-जन्म तक रहे ये बेनाम रिश्ता !!"ReNu"


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