Wednesday, November 28, 2012

अनदेखे अधूरे कितने सपने


अनदेखे अधूरे कितने सपने 
बंद आँखों में कैद हुआ !!
तोड़ के बंधन कितने अपने 
पंछी पिंजरे से मुक्त हुआ !!

आकुलता से देखा एक नजर 
सारी नजरें थी झुकी हुई !!
खड़े थे प्रियजन कितने उसके 
पर साथ न कोई भी चला !!

टूटे थे भ्रम कितने उसके 
यह भेद न कोई समझ सका !!
मुस्कान लिए अधरों पर अपने  
पंछी मंजिल की ओर चला !!"ReNu"

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Saturday, November 17, 2012

मानव को मानव रहने दो




प्रेम, त्याग, सहानुभूति 
परिधान दिया है प्रकृति 
मत उसका परित्याग करो 
मानव को मानव रहने दो !!

देश, धर्म, रंग, भाषा 
मानवता का नहीं परिभाषा 
बंधों नहीं इस बंधन में 
मानव को मानव रहने दो !!"ReNu"


                                            
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Friday, November 16, 2012

दर्द पुराना रिसने दो आज

दर्द पुराना रिसने दो आज  
ह्रदय पिघल कर बहने दो 
साज पुराना उठा लिया फिर
गीत नया कोई रचने को !!

होने लगा अब प्राण बोझिल
ढ़ोते-ढ़ोते भार तिमिर का
बुझी हुई चिंगारी से फिर 
जला ह्रदय उजाला करने दो !!

संग अपने शैवाल अश्रु का
बहा ले गया रंग बसंत का
भीगी हुई पलकों से फिर 
जीवन में रंगों को भरने दो  !!

होने लगी अब मूक वाणी 
हो-हो कर आहत व्यथा से 
विहीन शब्द स्वरों से फिर 
इन अधरों को मुस्कुराने दो !!"ReNu"

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