Friday, June 21, 2013

"हे भोले भंडारी" (केदारनाथ में महादेव का तांडव)

हे भोले भंडारी,

भक्तों का अपराध तो बताओ त्रिपुरारी ?

क्या सारे भक्त थे पापी ?

जो तुमने अपना त्रिनेत्र खोल डाली,

सही-सलामत है जब गिरिराज कुमारी,

फिर क्यों तुमने भयानक तांडव है मचाई ? 


माना कि भक्तों में थे कुछ नेता और अपराधी ,

इसकेलिए हजारों निर्दोष को सजा क्यों दी ?

क्यों चढ़ा रखी थी भांग तुमने इतनी ?

कि अपने अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया तुमने,

क्या रह गया फर्क देवता और क्रूर दानव में ?

जब निर्दोषों के खून से रंगे हों दोनों....."ReNu"

                  

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Sunday, June 16, 2013

"उमड़ हैं आई बदरी सावन की"

उमड़ हैं आई बदरी सावन की ,
दमके दामिनी गरज-गरज के !
निशि अंधियारी जिया घबराये ,
सुधि नहीं मेरी साजन को आये !!

वैरन हो गई मेरी हँसी-ठिठोली ,
रूठ के हैं पिया परदेश सिधारे !
जब से गए कोई चिठ्ठी न पत्री ,
कबसे खड़ी हूँ द्वार बाट निहारे !!"ReNu"
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