Wednesday, July 9, 2014

चाक पर रखी गीली मिट्टी से,
अपने सपनों को कर रही साकार। 
कल्पना को कोमल उँगलियों से,
बिटिया दे रही अभिनव आकार। "ReNu"

Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu" 

Tuesday, July 8, 2014

शब्दों को आँखों में उतार लिया है मैंने,
ताकि बधिर पशु-पक्षी भी मेरी भाषा समझ सके....."ReNu"

Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"