Sunday, December 9, 2012

अभिलाषाओं ने ली करवट



अभिलाषाओं ने ली करवट 
सुप्त आशाएं फिर जाग उठीं
पेड़ों की ठूंठ टहनियों पर 
फिर नव कोपलें फूट पड़ीं !!

विरक्ति, वेदना, अनिद्रा का
निर्जन ह्रदय में बना था घर
पतझड़ थी सूखी बगिया में 
व्यर्थ प्रतीक्षा में अब तक !! "ReNu"


                                Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"

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