Tuesday, February 4, 2014

**काश, मैं मंत्री जी की भैंस होती **


काश, हम मंत्रीजी की भैंसिया होती भैया ......

विदेशी शैम्पू से स्विमिंग पूल में नहैती,
महंगा बॉडी लोशन से मालिश करवैती,
हमर रूप के चका-चौंध देख-देख के,
मिस यूनिवर्स भी जलती।।
काश, हम मंत्रीजी की भैंसिया होती भैया ……

जमके सलाद-सब्जी के छप्पन भोग लगैती,
संतरा, अनार, अंगूर के खूब जूस पीती,
देश की जनता पानी में जाये,
हमत मौज उड़ैती।।
काश, हम मंत्रीजी की भैंसिया होती भैया ……"ReNu"

Monday, October 7, 2013

*मन*

ओ, मानव तू क्यों भागे हैं
मन के पीछे-पीछे…….
छलिया है यह छल लेगा ,
पल-पल रास्ता बदलेगा ।
कभी शिखर चढ़ जायेगा ,
कभी भू-गर्भ जा बैठेगा ।
थक जायेगा, गिर जायेगा ,
इसके पीछे भागते-भागते ।
ओ, मानव तू क्यों भागे हैं
मन के पीछे-पीछे…….

मन के आगे हो जाता है ,
प्रकाश-गति भी धीमी ।  
पलभर में यह सैर करा दे ,
तुमको पूरे ब्रह्मांड की ।
भूत-भविष्य में ले जायेगा ,
मदारी बनके नचायेगा ।
बन्दर बनकर रह जायेगा ,
इसके पीछे नाचते-नाचते ।
ओ, मानव तू क्यों भागे हैं
मन के पीछे-पीछे……. "ReNu"


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Sunday, October 6, 2013

जब भी चमन में फूल खिले,
और तितली लुटाये अपना प्यार ।
चाँद बिखेरे जब शीतल किरण ,
और धरती ओढ़े दुधिया चुनर ।
झींगुरों ने जब छेड़े राग यमन ,
पवन के झूले में झूले प्रकृति मगन ।
स्नेह बनकर जब बरसे शबनम ,
ऐसे में
काश! तुम होते प्रियतम । "ReNu"

Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"

Friday, August 16, 2013

*अभी पूर्ण स्वतंत्रता बाकी है *

स्वार्थ में लिपटे हुए सत्ताधारी ,
भरने में लगे हैं अपना तिजोरी ,
सीमा पर हुए शहीद जो वीर हैं ,
सुध लेते नहीं उनके परिजनों की कभी ,
जबतक शहीदों के शोणित से,
भारत माँ का आँचल भींगेगा ,
तबतक परतंत्रता बाकी है ,
अभी पूर्ण स्वतंत्रता बाकी है !!

पुत्र, पति, भाई के वियोग में,
दहलाता स्त्रियों का रुदन करुण ,
सहमें हुए पित्रहीन मासूमों का,
कौन सुनता है यहाँ अन्तःनाद ?
जबतक विधवाओं के सिंदूर से ,
सत्ता लोलुप्तों का राजतिलक होगा ,
तबतक परतंत्रता बाकी है ,
अभी पूर्ण स्वतंत्रता बाकी है !!

संविधान बनाकर क्या होगा ?
जब अमल नहीं उसपर होगा ,
रह गया है दबकर संविधान ,
मोटी किताब के पन्नों में ,
जबतक यह मुक्त नहीं होगा ,
तबतक परतंत्रता बाकी है ,
अभी पूर्ण स्वतंत्रता बाकी है ,
अभी पूर्ण स्वतंत्रता बाकी है !! "ReNu"


Tuesday, July 30, 2013

"बिटिया"

मेरे घर के आँगन में तुम , 

उधम-चौकरी मचाती हो !!

कभी रोती हो कभी हंसती हो ,

कभी गले में बाहें डाल झूल जाती हो !!

संपूर्ण जगत की मस्ती समेट ,

छोटे से घर में तुम ले आती हो !!

मेरे रिक्त जीवन में "सुरभि" ,

तुम सुरभि भर जाती हो !! "ReNu"


Thursday, July 11, 2013

सनेह संचय कर कलश में,
प्यार लुटाने आज आई !!
अतृप्त रहकर भी जगत की,
प्यास बुझाने मैं हूँ आई !!

रक्त, शव, धुंआ का कोहरा
विश्व में पीड़ा है गहरा !!
सूर्य से रश्मि को छीन कर,
भू पर विभा उतार लाई !!"ReNu"

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*मानव मन का विकार*

मैं कहती हूँ मैं अच्छी हूँ ,

वो कहते है वो अच्छे हैं ,

मैं कहती हूँ तुम बुरे हो ,

वो कहते हैं तुम बुरे हो ,

फिर बुरा कौन और अच्छा कौन ?

या तो सब अच्छे या सब बुरे ,

या तो सभी अच्छे और बुरे दोनों ,

"शहर से गावं तक जा देखा,

मिला नहीं बुरा कोई अनोखा ,

प्रतिबिंब आईने का जब देखा ,

अपने जैसा ही सबको देखा !!" "ReNu"

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