Tuesday, April 30, 2013

मत रौंदो इस तरह मुझको,
सुकून से बचपन तो जीने दो !
जरा सब्र तो करो रावणों,
पहले सीता तो मुझे बनने दो !! "ReNu"

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Sunday, April 7, 2013

! युवाओं को समर्पित !

परेशानी और बाधाओं को,
अपने पैरों के निचे रख दे !
बनने न दे इसे पथ का रोड़ा,
मंजिल की सीढ़ी बना ले !!

तू कौन है, क्या है,
यह दुनिया को आज दिखा दे !
मत चल औरों के पदचिन्हों पर,
खुद अपना पदचिन्ह बना ले !!

परवाह नहीं कर दुनियाँ की,
क्या तेरे बारे में वो कहता है !
मतलब केवल उन बातों का,
जो तू अपने आप से कहता है !!

व्यर्थ न गवा समय अपना,
तू सोच के औरों के बारे में !
मत कर औरों से अपनी तुलना,
जो दूर ले जाये तुमको खुद से !!

सबसे ऊपर जाकर जो बैठता है,
वह श्रेष्ठ नहीं हो जाता है !
अपने आप से ऊपर उठ कर तू,
श्रेष्ठता का मतलब उनको समझा दे !!"ReNu"


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Thursday, April 4, 2013

! आ कर देखो बस एक बार !

चाँद सितारों में जाकर ढूंढा,
मेघ बयारों से जाकर पूछा,
जाने वाले कहाँ चले जाते हैं,
दे ठौर-ठिकाना उनका बता !!

ओ महायात्रा पर जाने वाले,

क्यों लौट नहीं घर को आते,
दिवाली तुम्हारे बिना फीका,
होली का रंग भी बेरंग हुआ !!

आ कर देखो बस एक बार,
कितना सब कुछ है बदल गया,
अपने बगीचे की नन्ही कलियाँ
देखो खिलकर सौम्य फूल बना !!


मैं भी पहले जैसी कहाँ रही,

छा गयीं झुर्रियां, उम्र बढ़ा,
आँखों पर चढ़ा मोटा चश्मा,
सर का आधा बाल सफेद हुआ !!

जाना ही था तो चले जाते,
पर इतना तो करते जाते,
यादों की अपनी पोटली भी,
अपने साथ ही लेकर जाते !!

क्यों जाने के बाद भी साथी,
तुम दिल के अंदर रहते हो,
दिल को हर पल निचोड़ कर,
आंसुओं से सिंचित फलते-फूलते हो !!"ReNu"


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Wednesday, March 27, 2013

! ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर !

ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर
ईंट पत्थर से बने इंसानों का शहर
रोज मरते हम रोज बिकते हैं हम
चंद लोगों की मर्जी पर जीते हैं हम
इंसानों का नहीं ये हैवानों का शहर !!

        ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर......
 

माँ बहनों की लगती यहाँ बोलियाँ
रोटियों के लिए वो हैं बिकती यहाँ
संबंधों की उड़ रही है यहाँ धज्जियाँ
सम्पत्ति के लिए हो रहे क़त्ल यहाँ
पैसों का शहर ये जमीनों का शहर !!

          ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर......
 

मंदिर-मस्जिद में बांटे हुए हैं हमें
क्षेत्र, भाषा के नाम पर लड़वाते हमें
हमें खेलाकर यहाँ खून की होलियाँ
खुद वहाँ मना रहे हैं
वो रंगरेलियाँ
नेताओं का शहर धर्मगुरुओं का शहर !!

         ये न तेरा शहर ये न मेरा शहर......"ReNu"
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Tuesday, March 26, 2013

होली खेलूँगी राम-रहीम संग !

होली खेलूँगी राम-रहीम संग !
बिस्मिल्लाह से शुरू करुँगी,
श्री गणेश कह कलश रखूँगी !
रहीम नाम के डाल के पानी ,
राम नाम के शुद्ध रंग घोलूंगी !
होली खेलूँगी राम-रहीम संग .....


भर पिचकारी मारूँ ईश्वर की
बरसे फुहार बन अल्लाह की !
रंग पड़े जिसपर यह अनोखा ,
जाने प्रेम से बढ़कर धर्म न दूजा !
होली खेलूँगी राम-रहीम संग ...."ReNu"

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Wednesday, March 20, 2013

बेनाम रिश्ता

बैचेन होता है जब भी वहाँ तू ,
धड़कने क्यों मेरी यहाँ बढ़ जाती !!


ख़ामोशी की जुबां होती नहीं फिर ,
बिना कुछ कहे क्यों दिल सुन लेता ?


क्या नाम दूँ इस बेनाम रिश्ते को ?
बिना रिश्ते का जो रिश्ता बन गया है !!


छोटा सा है पर तू बड़ा ही सयाना,
बातें करे तू ऐसे जैसे हो नाना !!


नाते-रिश्तों को मैं भूल चुकी थी,
जिम्मेदारियों से मुख मोड़ चुकी थी !!


जीने की चाहत रही थी न बाकी,
ऐसे में आया तू ओ मेरे साथी !!


तेरी मासूमियत, तेरी बेतुकी बातें,
मेरे लिए जगना सारी-सारी रातें !!


बनके तू आया था मेरा फरिश्ता ,
जन्म-जन्म तक रहे ये बेनाम रिश्ता !!"ReNu"


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Thursday, February 21, 2013

"बौरायी है पवन बसंती"


बौरायी है पवन बसंती,
पल-पल अपनी दिशा बदलती !

पेड़ों को झकझोर रही है,
फूल-पत्तों को तोड़ रही है !
तितलियों को सता रही है,
जबरन साथ में उड़ा रही है !
बौरायी है पवन बसंती.....

सांय-सांय कर कभी डराती,
पत्र-दलों को नाच-नाचती !
कभी गगन में ऊँचा ले जाती,
कभी धरा पर धम्म से गिराती !
बौरायी है पवन बसंती.....

अल्हड़ और मदमस्त बसंती,
अपनी ताकत पर इतराती !
दीवारों से जा कर टकराई,
बौखलाई फिर वापस आई !
बौरायी है पवन बसंती..... "ReNu"

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