होली खेलूँगी राम-रहीम संग !
बिस्मिल्लाह से शुरू करुँगी,
श्री गणेश कह कलश रखूँगी !
रहीम नाम के डाल के पानी ,
राम नाम के शुद्ध रंग घोलूंगी !
होली खेलूँगी राम-रहीम संग .....
भर पिचकारी मारूँ ईश्वर की
बरसे फुहार बन अल्लाह की !
रंग पड़े जिसपर यह अनोखा ,
जाने प्रेम से बढ़कर धर्म न दूजा !
होली खेलूँगी राम-रहीम संग ...."ReNu"
Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"
बिस्मिल्लाह से शुरू करुँगी,
श्री गणेश कह कलश रखूँगी !
रहीम नाम के डाल के पानी ,
राम नाम के शुद्ध रंग घोलूंगी !
होली खेलूँगी राम-रहीम संग .....
भर पिचकारी मारूँ ईश्वर की
बरसे फुहार बन अल्लाह की !
रंग पड़े जिसपर यह अनोखा ,
जाने प्रेम से बढ़कर धर्म न दूजा !
होली खेलूँगी राम-रहीम संग ...."ReNu"
Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"
No comments:
Post a Comment