*फिर रही हूँ इस समय मैं बादल पर बैठकर*
फिर रही हूँ इस समय मैं बादल पर बैठकर,
भर रही हूँ चाँद-सितारे आँचल में तोड़कर !!
पहाड़ी और घाटियों से तैरती मैं जा रही,
झील और झरनों के ध्वनी पे गुनगुना रही !!
थिरक रहे हैं पवन संग वृक्ष और झाड़ियाँ,
चल रहा साथ मेरे आधा दुधिया शीतल चाँद !!"ReNu"
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