हे भोले भंडारी,
भक्तों का अपराध तो बताओ त्रिपुरारी ?
क्या सारे भक्त थे पापी ?
जो तुमने अपना त्रिनेत्र खोल डाली,
सही-सलामत है जब गिरिराज कुमारी,
फिर क्यों तुमने भयानक तांडव है मचाई ?
माना कि भक्तों में थे कुछ नेता और अपराधी ,
इसकेलिए हजारों निर्दोष को सजा क्यों दी ?
क्यों चढ़ा रखी थी भांग तुमने इतनी ?
कि अपने अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया तुमने,
क्या रह गया फर्क देवता और क्रूर दानव में ?
जब निर्दोषों के खून से रंगे हों दोनों....."ReNu"
Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"
truth....in each & every line.
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