Wednesday, December 19, 2012
Sunday, December 9, 2012
Wednesday, November 28, 2012
अनदेखे अधूरे कितने सपने
अनदेखे अधूरे कितने सपने
बंद आँखों में कैद हुआ !!
तोड़ के बंधन कितने अपने
पंछी पिंजरे से मुक्त हुआ !!
आकुलता से देखा एक नजर
सारी नजरें थी झुकी हुई !!
खड़े थे प्रियजन कितने उसके
पर साथ न कोई भी चला !!
टूटे थे भ्रम कितने उसके
यह भेद न कोई समझ सका !!
मुस्कान लिए अधरों पर अपने
पंछी मंजिल की ओर चला !!"ReNu"
Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"
आकुलता से देखा एक नजर
सारी नजरें थी झुकी हुई !!
खड़े थे प्रियजन कितने उसके
पर साथ न कोई भी चला !!
टूटे थे भ्रम कितने उसके
यह भेद न कोई समझ सका !!
मुस्कान लिए अधरों पर अपने
पंछी मंजिल की ओर चला !!"ReNu"
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Saturday, November 17, 2012
दर्द पुराना रिसने दो आज

साज पुराना उठा लिया फिर
गीत नया कोई रचने को !!
होने लगा अब प्राण बोझिल
ढ़ोते-ढ़ोते भार तिमिर का
बुझी हुई चिंगारी से फिर
जला ह्रदय उजाला करने दो !!
संग अपने शैवाल अश्रु का
बहा ले गया रंग बसंत का
भीगी हुई पलकों से फिर
जीवन में रंगों को भरने दो !!
होने लगी अब मूक वाणी
हो-हो कर आहत व्यथा से
विहीन शब्द स्वरों से फिर
इन अधरों को मुस्कुराने दो !!"ReNu"
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