Poems from my heart to touch your heart
Saturday, November 17, 2012
मानव को मानव रहने दो
प्रेम, त्याग, सहानुभूति
परिधान दिया है प्रकृति
मत उसका परित्याग करो
मानव को मानव रहने दो !!
देश, धर्म, रंग, भाषा
मानवता का नहीं परिभाषा
बंधों नहीं इस बंधन में
मानव को मानव रहने दो !!
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Poetess
Asha Prasad "ReNu"
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