Tuesday, July 30, 2013
Thursday, July 11, 2013
*मानव मन का विकार*
मैं कहती हूँ मैं अच्छी हूँ ,
वो कहते है वो अच्छे हैं ,
मैं कहती हूँ तुम बुरे हो ,
वो कहते हैं तुम बुरे हो ,
फिर बुरा कौन और अच्छा कौन ?
या तो सब अच्छे या सब बुरे ,
या तो सभी अच्छे और बुरे दोनों ,
"शहर से गावं तक जा देखा,
मिला नहीं बुरा कोई अनोखा ,
प्रतिबिंब आईने का जब देखा ,
अपने जैसा ही सबको देखा !!" "ReNu"
Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"
Wednesday, July 10, 2013
*फिर रही हूँ इस समय मैं बादल पर बैठकर*
फिर रही हूँ इस समय मैं बादल पर बैठकर,
भर रही हूँ चाँद-सितारे आँचल में तोड़कर !!
पहाड़ी और घाटियों से तैरती मैं जा रही,
झील और झरनों के ध्वनी पे गुनगुना रही !!
थिरक रहे हैं पवन संग वृक्ष और झाड़ियाँ,
चल रहा साथ मेरे आधा दुधिया शीतल चाँद !!"ReNu"
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