Tuesday, July 30, 2013

"बिटिया"

मेरे घर के आँगन में तुम , 

उधम-चौकरी मचाती हो !!

कभी रोती हो कभी हंसती हो ,

कभी गले में बाहें डाल झूल जाती हो !!

संपूर्ण जगत की मस्ती समेट ,

छोटे से घर में तुम ले आती हो !!

मेरे रिक्त जीवन में "सुरभि" ,

तुम सुरभि भर जाती हो !! "ReNu"


Thursday, July 11, 2013

सनेह संचय कर कलश में,
प्यार लुटाने आज आई !!
अतृप्त रहकर भी जगत की,
प्यास बुझाने मैं हूँ आई !!

रक्त, शव, धुंआ का कोहरा
विश्व में पीड़ा है गहरा !!
सूर्य से रश्मि को छीन कर,
भू पर विभा उतार लाई !!"ReNu"

          Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"

*मानव मन का विकार*

मैं कहती हूँ मैं अच्छी हूँ ,

वो कहते है वो अच्छे हैं ,

मैं कहती हूँ तुम बुरे हो ,

वो कहते हैं तुम बुरे हो ,

फिर बुरा कौन और अच्छा कौन ?

या तो सब अच्छे या सब बुरे ,

या तो सभी अच्छे और बुरे दोनों ,

"शहर से गावं तक जा देखा,

मिला नहीं बुरा कोई अनोखा ,

प्रतिबिंब आईने का जब देखा ,

अपने जैसा ही सबको देखा !!" "ReNu"

  Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"

 

 

Wednesday, July 10, 2013

*फिर रही हूँ इस समय मैं बादल पर बैठकर*

फिर रही हूँ इस समय मैं बादल पर बैठकर,

भर रही हूँ चाँद-सितारे आँचल में तोड़कर !!

पहाड़ी और घाटियों से तैरती मैं जा रही,

झील और झरनों के ध्वनी पे गुनगुना रही !!

थिरक रहे हैं पवन संग वृक्ष और झाड़ियाँ,

चल रहा साथ मेरे आधा दुधिया शीतल चाँद !!"ReNu" 

 

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