Poems from my heart to touch your heart
Thursday, July 10, 2014
चाक पर रखी गीली मिट्टी से,
अपने सपनों को कर रही साकार।
कल्पना को कोमल उँगलियों से,
बिटिया दे रही अभिनव आकार। "ReNu"
Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"
Tuesday, July 8, 2014
शब्दों को आँखों में उतार लिया है मैंने,
ताकि बधिर पशु-पक्षी भी मेरी भाषा समझ सके....."ReNu"
Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"
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