Thursday, July 11, 2013

सनेह संचय कर कलश में,
प्यार लुटाने आज आई !!
अतृप्त रहकर भी जगत की,
प्यास बुझाने मैं हूँ आई !!

रक्त, शव, धुंआ का कोहरा
विश्व में पीड़ा है गहरा !!
सूर्य से रश्मि को छीन कर,
भू पर विभा उतार लाई !!"ReNu"

          Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"

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