Tuesday, March 26, 2013

होली खेलूँगी राम-रहीम संग !

होली खेलूँगी राम-रहीम संग !
बिस्मिल्लाह से शुरू करुँगी,
श्री गणेश कह कलश रखूँगी !
रहीम नाम के डाल के पानी ,
राम नाम के शुद्ध रंग घोलूंगी !
होली खेलूँगी राम-रहीम संग .....


भर पिचकारी मारूँ ईश्वर की
बरसे फुहार बन अल्लाह की !
रंग पड़े जिसपर यह अनोखा ,
जाने प्रेम से बढ़कर धर्म न दूजा !
होली खेलूँगी राम-रहीम संग ...."ReNu"

Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"

 

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