Wednesday, December 19, 2012


उदित थे तुम श्याम गगन में  

सौम्य, दिव्य तारा बनकर !
पर तुमको पहचान सकी न 
मैं अनभिज्ञ, मूढ़, अज्ञानी !!

हँसकर के साथी फिर तुमने

बरसाया स्वर्ग-सुधा अंबर से !
रिक्त, शुष्क हृदय का प्याला
भरा लबालब प्रेम सुधा से !! "ReNu"
                                     Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"

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