Wednesday, November 28, 2012

अनदेखे अधूरे कितने सपने


अनदेखे अधूरे कितने सपने 
बंद आँखों में कैद हुआ !!
तोड़ के बंधन कितने अपने 
पंछी पिंजरे से मुक्त हुआ !!

आकुलता से देखा एक नजर 
सारी नजरें थी झुकी हुई !!
खड़े थे प्रियजन कितने उसके 
पर साथ न कोई भी चला !!

टूटे थे भ्रम कितने उसके 
यह भेद न कोई समझ सका !!
मुस्कान लिए अधरों पर अपने  
पंछी मंजिल की ओर चला !!"ReNu"

                           Copyright© reserved by Poetess Asha Prasad "ReNu"


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