Tuesday, September 11, 2012

पाखंडी बाबा

अनेक प्रकार के रंगों में ढ़लते,
बहुरुपिया वेशधारी हमने देखा !
आँखें मूंद कर लगाये समाधी,
गेरुआ वस्त्रधारी हमने देखा !!


वेद-पुरान के अधकचरा ज्ञान लिए,
ब्रह्मज्ञानी बननेवाला हमने देखा !
रंगों से ललाट पर तीसरी आँखें बना,
त्रिकालदर्शी कहलानेवाला हमने देखा !!



पैसों की कृपा बरसानेवाले को,
ठगकर पैसा बटोरते हमने देखा !
भगवान कहलानेवाले इन पाखंडियों को,
यमराज के आगे घुटने टेकते हमने देखा !!



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Poetess Asha Prasad "ReNu"    
                                                            

1 comment:

  1. lol....acha hai...
    akhir in "Shareef Logo" ko bhi aapne nahi choda...hahahaha
    In pakhandiyo ko to desh se hi nikal dena chahiye...

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