Friday, September 7, 2012

( ग़ज़ल ) बेरूखी इस कदर दर्द-ए-दिल बढ़ायेंगी......

बेरूखी इस कदर दर्द-ए-दिल बढ़ायेंगी 
मेरी साँसें भी मुझ से जुदा हो जायेंगी !!

भूल पाएंगे भी ना मेरे स्र्ख़सत के बाद

मेरी बातें ख़ामोशी में सता के जायेंगी !!

जिक्र जब भी कहीं पे होगा मेरे नाम का
दिल तड़पने लगेगा आँखें छलक जायेंगी !!

जनाज़ा सजने लगा कफ़न ले आइए आप
देर हुई तो हमारी मयत निकल जायेंगी !!

बेरूखी इस कदर दर्द-ए-दिल बढ़ायेंगी
मेरी साँसें भी मुझ से जुदा हो जायेंगी !!
            Asha Prasad "ReNu"

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