Wednesday, September 5, 2012

आज बरसे फिर नयन


बिरह की इस प्रखर आग में,
झुलस रहा है मेरा मन !
आज बरसे फिर नयन....

बहु भावों से है विह्वल,
आज फिर से अंत:मन !
उड़ी भावना जितनी ऊँची,
मिले आज उतने ही गम !
लुटी राह में खड़ी अकेली,
कैसे गाऊँ मैं सरगम !
आज बरसे फिर नयन....
बहे स्मृतियों के बयार,
आज होके फिर मगन !
प्रेम राग से गूंज रहा है,
चाहूं दिशा और गगन !
कभी न हो ये जीवन सूना,
मधुर प्राणों का मिलन !
आज बरसे फिर नयन....
   Asha Prasad "ReNu"

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